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लेखनी कहानी -03-Dec-2022 प्रेम परीक्षा

सबकी जुबां पर एक ही नाम है । आजकल लोग राम नाम की माला नहीं फेरते, प्रेम की फेरते हैं । जिसे देखो वही प्रेम के पीछे भाग रहा है मगर ये प्रेम है कि पकड़ में ही नहीं आता ।
किसी को प्रेम की पूंछ पकड़ में आ गयी तो वह उसे ही प्रेम समझ बैठा । ये पूंछ भी घोड़े की पूंछ जैसी ही थी तो लोगों ने समझा कि इससे झाड़ू का काम लिया जा सकता है । बस , तब से ही लोग प्रेम से झाड़ू लगा रहे हैं । 
परीक्षा के नाम से हमें बहुत डर लगता है । परीक्षा की तिथि घोषित होते ही "सन्निपात" के मरीज की तरह हमार बदन थयथराने लगता है । पर हमारे मित्र लोग भी कम नहीं हैं । उन्होंने नकल करवाने के सारे फार्मूले आजमा लिये । "जब जब बहार आई" गाने की तर्ज पर कह सकते हैं कि
जब जब परीक्षा आई और हम बहुत घबराये 
तब तब नकल करने के नये नुस्खे आजमाये। । 

कुछ हमारे अध्यापकों की भी मेहरबानी रही कि उन्होंने हमें नकल करते देखकर भी अपनी आंखें बंद कर लीं । ये समझ के बाहर की बात थी कि उन्होंने ऐसा क्यों किया ? उन दिनों ट्यूशन पढाने की भी बीमारी नहीं थी , पर फिर भी ऐसा किया । बाद में उन्होंने बताया कि परीक्षा परिणाम 100% रखने के लिए ऐसा किया था उन्होंने । मेरे कारण उनका परिणाम कम रह जाता तो उन्हें अच्छा नहीं लगता इसलिए उन्होंने नकल करते वक्त अपनी नजरें घुमा ली थीं । इससे हम दोनों का काम हो गया । मैं उत्तीर्ण हो गया और उनका परीक्षा परिणाम भी 100% रह गया । इसे कहते हैं दोनों का फायदा । बड़े बुजुर्ग कह गये हैं कि काम ऐसा करो जिससे दोनों का फायदा हो ,जैसे कि प्रशंसा करना । तू मुझे महान बता, मैं तुझे महान बताऊं और इस तरह हम दोनों ही महान बन जायें । अब इसमें किसी का नुकसान है क्या ? यही हाल समीक्षाओं का है । तू मेरी कर, मैं तेरी करूं और इस तरह ज्यादा समीक्षाऐं हो सकती हैं । 

तो मैं कह रहा था कि मैं परीक्षा देने से घबराता था पर लोग तो कहते हैं कि प्रेम में परीक्षा देनी ही पड़ती है तो हमारे लिये समस्या खड़ी हो गई । परीक्षा कैसे दें ? पर हमारे मित्र लोग भी कम नहीं हैं । उन्होंने हमें परीक्षा देने के लिए कहा और हमें आश्वस्त किया कि बाकी वे सब संभाल लेंगे । 

तो प्रेम में हमारी पहली परीक्षा थी एक गाना गाने की । दरअसल हमें हमारी सहपाठिन से प्रेम हो गया था और वह चाहती थी कि उसके लिये हम कोई गाना गायें । पर हमारी आवाज हमारे बड़े भैया "गर्दभराज" जैसी थी तो गाना कैसे गाते ? पर मित्रों ने जुगाड़ कर लिया । वैसे इस देश में लोग गजब के "जुगाड़ू" हैं । और तो और जुगाड़ से सरकार तक चला लेते हैं । हम उसके मकान के सामने स्थित हमारे एक मित्र के मकान की खिड़की में बैठकर मुंह हिलाने लगे और पीछे से साथी लोग गाना गाने लगे । फिल्म "पड़ोसन" की तरह । वो खुश हो गई । शायद उसने "पड़ोसन" देखी नहीं थी तब तक । हम प्रेम की पहली परीक्षा में पास हो गये । 

अब बात आई प्रेम पत्र की । हमें तो प्रेमपत्र लिखना आता नहीं था पर हमारे मित्र इस कला में बहुत उस्ताद थे । न जाने कितने प्रेमपत्र लिख डाले थे उन्होंने । किस किस को नहीं लिखा ? और तो और एक मित्र ने तो उसके पड़ोस में रहने वाली एक लड़की को ही लिख मारा । वह प्रेमपत्र उस लड़की की मम्मी के हाथ पड़ गया । बस, उसी दिन से वह आंटी हमारे मित्र के पीछे हाथ धोकर पड़ी है । आते जाते "आई लव यू" कहकर फ्लाइंग किस उछाल जाती हैं । 

हमारे मित्रों ने एक सुंदर सा प्रेमपत्र लिख दिया जिस पर हमने अपने हस्ताक्षर रूपी चिड़िया बैठा दी और हमारा काम बन गया । पर होनी को कुछ और ही होना था । हमारी सहपाठिन की मम्मी मान ही नहीं रही थी । कहती थी "लड़का आवारा है । काम धाम कुछ करता नहीं । दिन भर मटरगश्ती करता है । ऐसे लड़के को अपनी "गाय" जैसी लड़की कैसे दे दूं" ? यहां भी दाल भात में मूसलचंद आ ही गये । मामला खटाई में पड़ गया । 

पर यार दोस्त कब काम आयेंगे ? उन्होंने भी जैसे ठान ली थी । हमको कह दिया कि "बेटा, जा चढ जा पानी की टंकी पर शोले फिल्म के धर्मेंद्र की तरह , फिर देखते हैं कि "मोटी" कैसे नहीं मानती हैं" ? 

हम भी उनकी भप्पियों में आ गये और टंकी पर चढकर धरने पर बैठ गए । आखिर में प्रेम की जीत हुई । पर ये प्रेम भी "भूख" की तरह है जो बार बार होता है । क्या एक बार खाना खाने से पूरी जिंदगी गुजर सकती है ? नहीं ना ? तो फिर एक बार प्रेम करने से कैसे काम चल सकता है ? और यह भी सच है कि प्रेम अपने आप होता है, ये किया नहीं जाता । तो जहां पर भी कोई सुंदरी नजर आती, प्रेम हो जाता है । इस तरह ये प्रक्रिया सतत चलती रहती है । एक गाना भी तो है 
ना उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन 
तो ये प्रेम उम्र की सीमाओं से परे आज भी हो रहा है । ये अलग बात है कि अब ये प्रेम "लेखन" सुंदरी से हो रहा है । अब देखते हैं कि यहां कौन सी परीक्षा होती है ? वैसे हमें परीक्षा से आज भी डर लगता है पर उम्मीद है कि आप जैसे मित्र हमें यहां भी पार अवश्य लगा देंगे । क्यों है ना ? 

श्री हरि 
3.12.22 


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6 Comments

Mahendra Bhatt

04-Dec-2022 10:01 AM

जी बिल्कुल सही

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Hari Shanker Goyal "Hari"

04-Dec-2022 12:43 PM

😊😊💐💐🙏🙏

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Arina saif

03-Dec-2022 06:28 PM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

04-Dec-2022 12:43 PM

🙏🙏

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Prbhat kumar

03-Dec-2022 04:17 PM

👌👏🙏🏻

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Hari Shanker Goyal "Hari"

03-Dec-2022 04:20 PM

🙏🙏

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